Journalism: पत्रकारों के लिए बने कोष पर पत्रकार ने उठाये सवाल
Journalism: सम्मान सबको अच्छा लगता है। चाहे वह साहित्यकार हो, पत्रकार हो, कलाकार हो, समाजसेवक हो या फिर शिक्षाविद या किसी अन्य क्षेत्र में काम करने वाला हो। लेकिन जो जनता की परेशानियों को उजागर करने, जनता को धोखे का शिकार होने से बचाने या जनता की सेवा करने में सरकार की विफलता को उजागर करने में अहम भूमिका निभाता है। उसे हम पत्रकार के रूप में जानते हैं। क्या वह सम्मान का हकदार नहीं है। क्या उसे अपना सम्मान करवाना चाहिए या नहीं। भारत में तो अपना सम्मान करवाने और पाने के लिए सभी पत्रकार लालायित रहते हैं। लेकिन न्यूजीलैंड में एक पत्रकार ने इस विषय पर सवाल उठाया है। पत्रकार ने सवाल Journalism के लिए फंड देने वाली संस्था पर उठाए हैं।
Journalism: न्यूजीलैंड में छिड़ी नई बहस
न्यूजीलैंड में पिछली लेबर सरकार द्वारा शुरू किए गए $55 मिलियन डालर के पब्लिक इंटरेस्ट जर्नलिज्म फंड (पीआईजेएफ) के आवंटन मामले में पत्रकार ग्राहम एडम्स ने सवाल उठाये हैं। यह फंड पैसा 2026 तक जारी रहेगा।
पत्रकार ग्राहम एडम्स ने पूछा है कि क्या करदाताओं के पैसे का प्रभावी और नैतिक रूप से उपयोग किया जा रहा है। एडम्स ने लिखा है कि न्यूजीलैंड सरकार की एक स्वायत्त क्राउन इकाई और आयोग ‘एनजेड ऑन एयर’ ज्यादातर अपने किये गए काम को स्वयं चिह्नित करता है और जब यह परियोजनाओं के लिए बाहरी लेखा परीक्षकों को नियुक्त करता है तो परिणाम सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। आपको बता दें कि यह आयोग प्रसारण और रचनात्मक कार्यों के लिए वित्त पोषण सहायता के लिए जिम्मेदार है।
आलोचकों का मुंह बंद किया गया
करदाताओं के पैसे से मीडिया को रिश्वत देने के आरोपों पर पत्रकार पैट्रिक गॉवर की हालिया प्रतिक्रिया, आलोचकों का मुंह बंद कर दिया गया है कहना, फंड के आवंटन पर समाचार मीडिया और जनता के बीच तनाव को दर्शाता है। जबकि कुछ पत्रकार फंड के इरादों का बचाव करते हैं।
पत्रकार एडम्स कहते हैं कि मीडिया में इस बात की बहुत कम पड़ताल की गई है कि एनजेड ऑन एयर अपने द्वारा दिए गए पैसे की जांच कैसे करता है। एडम्स का तर्क है कि पब्लिक इंटरेस्ट जर्नलिज्म फंड न केवल मीडिया में जनता के विश्वास को बहाल करने में विफल रहा है।